कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बीजेपी पर तीखा हमला किया है, जिसके बाद हेट स्पीच और हेट क्राइम्स प्रिवेंशन बिल, 2025 को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। इस बिल को राज्य विधानसभा में पारित किया गया है। सिद्धारमैया ने मैसूर में पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह इस बिल के खिलाफ है क्योंकि उनके नेता विवादास्पद भाषण देते हैं।
इस बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार बहस चल रही है। इस बिल को 10 दिसंबर, 2025 को कर्नाटक विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान बेलगाम में पेश किया गया था। इस बिल के तहत हेट स्पीच करने वालों को जेल और भारी जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
सिद्धारमैया के बयान के एक दिन बाद बिल को कर्नाटक परिषद ने पारित किया, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह अपने नेताओं को जवाबदेह ठहराने से बचने के लिए "प्रतिरक्षात्मक रणनीति" अपना रही है। "कोई आपको मक्का चोर कहता है, तो आप क्यों अपने कंधे पर हाथ रख रहे हैं?" सिद्धारमैया ने एक कन्नड़ मुहावरे का उपयोग करके अपना पॉइंट स्पष्ट किया।
मुख्यमंत्री का दावा है कि केवल विवादास्पद भाषण देने वाले ही इस बिल के खिलाफ हैं। इस बिल के तहत व्यक्तियों और समुदायों के बीच द्वेष, घृणा और असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाले कार्यों को दंडित किया जाएगा।
इस बिल के तहत दोषी व्यक्तियों को एक साल से लेकर सात साल तक की कैद का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें पहली बार के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। दूसरी बार के दोषी व्यक्ति को दो साल से लेकर सात साल तक की कैद का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस बिल का उद्देश्य किसी विशिष्ट व्यक्ति को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि हेट स्पीच को रोकना है। गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा है कि हेट क्राइम्स के लिए सटीक कानूनी परिभाषा की आवश्यकता है ताकि विशिष्ट समुदायों के खिलाफ कथित बयानों और कार्यों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।
हालांकि, बीजेपी ने इस बिल के कई आधारों पर विरोध किया है, जिसमें केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा है कि कांग्रेस-नेतृत्व वाली सरकार केरल में "अनिर्धारित आपातकाल" लागू करने का प्रयास कर रही है। बीजेपी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस बिल को विशिष्ट व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए बना रही है।
नागरिक समाज के समूहों ने इस बिल के प्रावधानों के बारे में चिंता व्यक्त की है, जिसमें सरकार को हेट स्पीच के लिए दंडित करने का अधिकार दिया गया है। चिंता है कि सरकार के अधिकार का दुरुपयोग हो सकता है। संगठनों को एक साथ जिम्मेदार ठहराने के प्रावधान के कारण चिंता है कि यह मीडिया आउटलेट, एनजीओ या नागरिक समाज समूहों को निशाना बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
इस बिल के प्रावधानों ने बार-बार बीएसएनएस के प्रावधानों के साथ ओवरलैप की चिंता पैदा की है, जिसमें प्रश्न उठाए गए हैं कि क्या यह नया कानून केंद्रीय कानून के प्रावधानों को दोहराता है।
हेट स्पीच और हेट क्राइम्स प्रिवेंशन बिल के बारे में बहस जारी है, एक बात तो स्पष्ट है कि यह बिल हेट स्पीच और इसके प्रभावों पर चर्चा को एक नई दिशा दे रहा है। क्या यह बिल हेट स्पीच को दूर करने में एक कदम होगा या सरकार की एक और अतिरेक होगी, यह समय बताएगा।
एक बात तो स्पष्ट है कि इस बिल के विरोध की प्रकृति केवल विचारधारा से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह जवाबदेही के बारे में भी है। विवादास्पद भाषण देने वाले ही इस बिल के खिलाफ हैं, क्योंकि वे अपने कार्यों के लिए जवाबदेह होंगे।
अंत में, हेट स्पीच और हेट क्राइम्स प्रिवेंशन बिल का क्या होगा, यह अदालतों और कर्नाटक के लोगों के हाथ में है। लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि हेट स्पीच के बारे में बहस अभी भी जारी है।
📰 स्रोत: The Hindu - National